छात्र सेना : भारत में सरकारी नौकरी की वैकेंसी उपलब्ध कराने वालीं संस्थाएँ मुख्य रूप से 3 हैं - SSC (Staff Selection Commission) , Indian Railway Recruitment Board और IBPS (Institute of Banking Personnel Selection). ये सभी सरकारी संस्था हैं तथा सबसे ज्यादा सरकारी नौकरी उपलब्ध कराने के लिए जाने जाते हैं। दरअसल सबसे ज्यादा धांधली भी इन्हीं संस्थाओं में हुआ करतीं हैं, वैसे तो इन्हें मुख्य रूप से सरकारी नौकरी की वैकेंसी उपलब्ध कराने तथा उनसे सम्बंधित परीक्षाएं कंडक्ट कराने के लिए बनाया गया था, लेकिन फ़िलहाल इनका मुख्य काम विद्यार्थियों से नौकरी के नाम पर पैसे लूटकर डकार जाना है।
SSC, IBPS तथा Railway ने पैसे लूटने का एक नया सिस्टम शुरू किया है जिसके तहत यह सभी जॉब पोस्ट की वैकेंसी निकालते हैं, हर एक स्टूडेंट्स से फॉर्म चार्ज के नाम पर पैसे लेते हैं, निर्धारित तारीख बता कर परीक्षा का आश्वासन देते हैं और अंततः या तो परीक्षा को किसी भी कारण से रद्द करा देते हैं अन्यथा परीक्षा की तारीख को आगे बढ़ा देते हैं। नई तारीख की आस में विद्यार्थी का पूरा साल खत्म हो जाता है लेकिन परीक्षाओं की तारीख नहीं आती। कुछ साल बाद यह संस्थाएं फिर नई वैकेंसी निकालतीं हैं और विद्यार्थियों के साथ दोबारा वही गेम खेला जाता है।
नौकरी के नाम पर विद्यार्थियों को इस प्रकार चूना लगाया जाता है -
परीक्षा शुरू होने से कुछ घंटे पहले पेपर हीं पेपर लीक हो जाता है, जिससे संस्थाओं को परीक्षा रद्द करने का बहाना मिल जाता है। अब कोई व्यक्ति चीन से आकर तो पेपर लीक करेगा नहीं, ऐसे नीच अधिकारी तो सरकारी संस्थाओं में हीं भरे पड़े हैं। जब ये संस्थाएँ प्रशन पत्र भी नहीं संभाल सकते तो किस लिए बनाया गया है इनको?
UPSC की परीक्षाओं में तो ऐसी समस्याएँ नहीं आतीं। इसका मतलब तो यही है न कि सारे चोर SSC, Railway, IBPS जैसी संस्थाओं में हीं भरे पड़े हैं।
अब यहाँ कुछ लोगों का मानना है की इन छोटी - मोटी समस्याओं पर बड़ी संस्थाओं को दोष देना सही नहीं है। यदि आप भी ऐसा सोचतें हैं तो मेरा यकीन मानिए आप अभी भी अठारहवीं शताब्दी में हीं जी रहे हैं - जी हाँ अठारहवीं शताब्दी।
ये संस्थाएं वैकेंसी के अनुसार 100 से 300 Rs हरेक विद्यार्थी से लेतें हैं, इसके बावजूद भी यदि परीक्षा रद्द हो जाए तो दोष क्या Donald Trump को दें। 1 वैकेंसी पर लाखों - करोड़ों विद्यार्थी फॉर्म भरते हैं, यदि पेपर लीक जैसी समस्याएं आतीं हैं तो ये कोई छोटी - मोटी समस्या नहीं बल्कि बहुत बड़ी समस्या है।
यही तीनों संस्थाएं मुख्य रूप से भारत में बेरोजगारी बढ़ाने का काम करते हैं। सरकार को इनपर गंभीर रूप से धयान देना होगा अन्यथा बेरोजगार युवाओं से भरा हमारा भारत देश कभी भी प्रगति नहीं कर सकेगा।
हिंदी सेना का सरकार को सुझाव
भारत सरकार को इस समस्या पर गंभीर एक्शन लेना चाहिए। सरकार को खासकर इन संस्थाओं के लिए एक टास्क फोर्स को नियुक्त कर देना चाहिए। वर्तमान में इन संस्थाओं के अधिकरियों को किसी का डर नहीं है, तभी तो वे विद्यार्थियों के भविष्य के साथ लगातार खिलवाड़ करते हीं जा रहे हैं। जब जब तक अधिकारीयों के मन में डर नहीं होगा तब तक ऐसी समस्याएं आतीं रहेंगी।
सरकार द्वारा नियुक्त स्पेशल टास्क फोर्स का मुख्य काम होगा सभी अधिकारियों पर नज़र रखना। यदि कोई अधिकारी गैर - कानूनी काम करते हुए पकड़ा गया तो सबसे पहले उसे धो डालो, दम भर धोने के बाद उसे कम से कम पांच सालों के लिए जेल में दाल दो।
जब हम एक को धोएंगे तभी जाकर दस अधिकारी सुधरेंगे तभी बदलाव आएगा, और मेरा यकींन मानिये "बदलाव हीं प्रकृति का नियम है" - यह अटल सत्य है। यदि भारतवर्ष को विकाशशील से विकसित के वर्ग में लें जाना है तो इस तरह के बदलाव हमें करते रहने होंगे।
-By आशीष राज वर्मा
मैं एक विद्यार्थी हूँ तथा विद्यार्थियों की भावनाओं को अच्छे से समझता हूँ। मेरे द्वारा लिखे गए इस आर्टिकल में आप विद्यार्थियों के मन में उठ रहे आक्रोश को साफ - साफ महसूस कर सकते हैं, इसका इस्तेमाल करके मैंने सरकारी संस्थाओं पर व्यंग किया है। मेरे द्वारा लिखे इस आर्टिकल में कुछ शब्द ऐसे हैं जिन्हे एक सभ्य विद्यार्थी को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, लेकिन यदि उन शब्दों से विद्यार्थियों का कुछ भला होता है तो 'शब्द अच्छे हैं'। वर्तमान में सोशल मीडिया पर #SpeakupforStudents , #speakupforSsc , #SpeakupForSscRailwayStudents जैसे कई campaign चल रहे हैं, आईये इनसे जुड़कर अहिंसा के मार्ग पर चलकर तथा शांतिपूर्ण तरीके से देश में बदलाव करें।
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हिंदी सेना